
नई दिल्ली: नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान संगठनों की तरफ से मंगलवार को बुलाया गया भारत बंद शांतिपूर्ण रहा और इसका देशव्यापी असर देखने को मिला. राजधानी दिल्ली से लेकर तमिलनाडु तक इसके विरोध में प्रदर्शन हुए. हालांकि, किसान संगठनों के इस प्रदर्शन को देश की प्रमुख सभी विपक्षी पार्टियों ने समर्थन किया. प्रदर्शनकारी किसानों की कोशिश है कि इसके जरिए सरकार के ऊपर और दबाव बढ़ाया जाए और कृषि कानूनों के विरोध में किए जा रहे आंदोलन को धार दिया जा सके.
किसानों के प्रदर्शन का 13वां दिन
राजधानी दिल्ली में हजारों की संख्या में हरियाणा-पंजाब और देश के अन्य राज्यों से आए किसानों का मंगलवार को 13 दिन हैं. 9 दिसंबर को केन्द्रीय मंत्रियों के साथ किसान संगठनों की छठे दौर की बातचीत होगी. अब तक हुए पांच दौर की बातचीत में किसान संगठनों और सरकार के बीच कोई भी नतीजा नहीं निकल पाया है. हालांकि, सरकार की तरफ से लगातार आंदोलन को खत्म करने कोशिश की जा रही है लेकिन किसान संगठन अपनी जिद पर अड़े हुए है कि सरकार इन तीनों ही कानूनों को वापस ले.
क्या है विरोध
गौरतलब है कि सितंबर महीने में मॉनसून सत्र के दौरान केन्द्र सरकार की तरफ से पास कराए गए तीन नए कानून- 1. मूल्य उत्पादन और कृषि सेवा अधिनियम, 2020, 2. आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 और 3. किसानों के उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020 का किसानों की तरफ से विरोध किया जा रहा है. किसानों को डर है कि इससे एमसीपी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और सरकार उन्हें प्राइवेट कॉर्पोरेट के आगे छोड़ देगाी. हालांकि, सरकार की तरफ से लगातार ये कहा जा रहा है कि देश में मंडी व्यवस्था बनी रहेगी. लेकिन, किसान अपनी जिद पर अड़े हुए हैं.
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