
किसानों का आंदोलन पिछले कई दिनों से चल रहा है. लोगों को लग रहा है कि अब तो क्रांति आ ही जाएगी,अब नहीं तो कभी नहीं, इस आंदोलन के बाद शायद किसानों की मांगें मान भी ली जाएं, उनके हालात बदलें, लेकिन किसानों की ये मांगें आज की नहीं बल्कि 211 साल से ज्यादा पुरानी हैं.जब 211 सालों में किसानों की आवाज़ नहीं सुनी गई, उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो क्या 14 दिन से चल रहे इस आंदोलन से क्रांति की उम्मीद करना सही है ?
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