
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसान संगठनों के नाम रविवार को फिर एक पत्र भेजकर उनसे बातचीत के जरिए किसानों के मसले का समाधान तलाशने की अपील की. किसान संगठनों को इसे पहले भेजे गए प्रस्तावों और उससे पहले सरकार की ओर बातचीत के जरिए समस्याओं का समाधान करने की दिशा में किए गए प्रयासों का हवाला देते हुए सरकार ने उनसे फिर बातचीत शुरू करने की अपील की है और इस संबंध में उनके विचार और वार्ता की तिथि बताने को भी कहा गया है.
यह पत्र केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय में संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने किसान संगठनों के 39 प्रतिनिधियों को भेजा है. इसमें कहा गया है कि केंद्र किसानों की सभी चिंताओं का उचित समाधान निकालने की खातिर ‘खुले मन से’ हरसंभव प्रयास कर रहा है.
उल्लेखनीय है कि किसानों से वार्ता के लिए केंद्र सरकार ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर की अध्यक्षता में मंत्रिस्तरीय एक समिति गठित की थी. केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री सोमप्रकाश इसके सदस्य हैं. सरकार से किसानों की अब तक पांच दौर की वार्ता हो चुकी है जो विफल रही है. किसानों के संगठनों की एक बार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ भी बैठक हो चुकी है, लेकिन उसका नतीजा भी शून्य रहा है.
केंद्र सरकार सितंबर में पारित तीन नए कृषि कानूनों को कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रही है, वहीं प्रदर्शन कर रहे किसानों ने आशंका जताई है कि नए कानूनों से एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और वे बड़े कॉरपोरेट पर निर्भर हो जाएंगे.
सरकार और किसानों के बीच कब-कब बातचीत हुई
सबसे पहले अक्टूबर में पंजाब के किसान संगठनों के नेताओं के साथ 14 अक्टूबर को कृषि सचिव से वार्ता हुई थी. इसके बाद 13 नवंबर को यहां विज्ञान-भवन में केंद्रीय मंत्रियों के साथ उनकी वार्ता हुई, जिसमें केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेलमंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री सोमप्रकाश मौजूद थे.
सरकार के साथ तीसरे, चौथे और पांचवें दौर की वार्ताएं क्रमश: एक दिसंबर, तीन दिसंबर और पांच दिसंबर को विज्ञान भवन में ही हुईं, जिनमें तीनों मंत्री मौजूद थे. इसके बाद आठ दिसंबर को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ हुई बैठक के बाद सरकार की ओर से किसान संगठनों के नेताओं को कानूनों में संशोधन समेत अन्य मसलों को लेकर सरकार की ओर से एक प्रस्ताव नौ दिसंबर को भेजा गया, जिसे उन्होंने नकार दिया दिया था.
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